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घंटों कंप्यूटर पर काम करना हो सकता है आंखों के लिए नुकसानदायक

  • 08-Oct-2020
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ड्राई आई (Dry Eye) की वजह से आंखों की रोशनी तो कमजोर होती ही हैआधुनिक दौर में ज्यादातर नौकरियां सर्विस सेक्टर में ही आ रही हैं. इस जीवनशैली (Lifestyle) के साथ ही कामकाज का दबाव भी बढ़ा है. इस बीच लोग स्मार्टफोन (Smartphone) पर भी आजकल घंटों वक्त बिताते हैं. 
Lifestyle News घंटों कंप्यूटर पर काम करना हो सकता है आंखों के लिए नुकसानदायक

लैपटॉप (Laptop) या कंप्यूटर (Computer) पर घंटों काम करना, टीवी पर काफी देर तक अपने पसंदीदा शो देखना, यह सब आंखों पर असर डालता है. इस दौर में सबसे बड़ी समस्या ड्राई आई यानी आंखों में सूखेपन की है. खासतौर पर भारत में तो यह समस्या महामारी का रूप ले चुकी है. ऐसे में आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है. आज दुनियाभर में वर्ल्ड साइट डे (World Sight Day 2020) मनाया जा रहा है. मेडिकल जर्नल द ऑक्युलर सरफेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार करीब 15 लाख लोगों पर अध्ययन करके एक रिपोर्ट तैयार की गई है, साल 2030 तक भारत में मरीजों की संख्या 27 करोड़ 50 लाख से ज्यादा हो जाएगी. शहरों ही नहीं, ग्रामीण इलाकों की आबादी भी इसकी चपेट में आ रही है और हर साल 1.7 करोड़ नए मरीज सामने आते हैं.

यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंखें पर्याप्त मात्रा में आंसू नहीं बना पाती हैं या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है. ड्राई आई की वजह से आंखों की रोशनी तो कमजोर होती ही है, बल्कि अन्य कामों पर भी असर पड़ता है. ड्राई आई की वजह से मरीज अवसाद में भी जा सकता है. उनके दैनिक कार्यों पर असर पड़ता है. डायबिटीज व दिल से जुड़ी समस्याओं वाले लोगों में यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है.
महिलाओं और पुरुषों पर होता है अलग-अलग असर

द ऑक्युलर सरफेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार यह बीमारी महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती है. पुरुषों में 20-40 वर्ष के बीच इसका खतरा सबसे ज्यादा होता है, जबकि महिलाओं में 40-60 के बीच इसका असर ज्यादा दिखता है.

आंखों में सूखेपन का कारण

आपने नोटिस किया होगा कि जब भी आप भावुक होते हैं या जम्हाई लेते हैं तो उस वक्त आंख से आंसू निकलते हैं. असल में सच्चाई तो यह है कि आंखें हर समय आंसू पैदा करती रहती हैं. स्वस्थ आंखों में हमेशा तरल पदार्थ बना रहता है, जिसे टियर फिल्म कहते हैं. यह तरल आंखों को सूखने से रोकता है और इसी की वजह से हम साफ-साफ देख पाते हैं. जब भी आंसू ग्रंथियां आंसुओं का कम निर्माण करती है, तब यह टियर फिल्म अस्थिर हो जाती हैं. इसी की वजह से आंखों की सतह पर सूखे धब्बे बन जाते हैं.

शायद आपको जानकारी होगी कि आपके आंसू की प्रत्येक बूंद में वसायुक्त तेल, पानी, प्रोटीन, इलेक्ट्रोलाइट्स, बैक्टीरिया से लड़ने वाले पदार्थ पाए जाते हैं. यही मिश्रण आंखों की सतह को चिकना और साफ रखने में मदद करता है और इसी की वजह से हम स्पष्ट देख पाते हैं. इन सब चीजों के संयोजन में कुछ भी कम-ज्यादा होने पर आंसू जल्दी सूख सकते हैं और इससे ड्राई आई की समस्या हो सकती है.

आंसू के लिए प्रोटीन का सेवन

आपकी आंखों में पर्याप्त मात्रा में आंसू बनते रहें, इसके लिए जरूरी है कि आप विटामिन-ए का सेवन करते रहें. यदि पर्याप्त मात्रा में आंसू नहीं बन रहे हैं तो इसका कारण विटामिन ए की कमी और डायबिटीज हो सकती है. रेडिएशन थैरेपी से इलाज के दौरान भी आंखें सूख सकती हैं. आंखों की लेजर सर्जरी के बाद भी आंखें सूख सकती हैं. गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने वाली महिलाओं को भी ड्राई आई की समस्या हो सकती है. बहुत ज्यादा गर्मी, सूखा पड़ना, गर्म हवा या लू चलने की वजह से भी ड्राई आई की समस्या हो सकती है.

इन बातों का रखें ध्यान :

बार-बार पलकें झपकें – यदि आप कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हैं. घंटों स्मार्टफोन पर समय बिताते हैं तो समय-समय पर आंखें झपकाते रहें. वैसे तो पलकें अपने आप झपकती रहती हैं, इसके बावजूद बीच-बीच में कुछ सेकेंड के लिए आंखों को बंद करके आराम देते रहें. एसी कमरे में वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है, जिसकी वजह से आंसू कम बनते हैं और ड्राई आई की समस्या सामने आती है. उचित रोशनी में काम करें और कंप्यूटर या स्मार्टफोन की ब्राइटनेस भी कम रखें.

टियर ड्रॉप का इस्तेमाल करें – आखों में नमी बनाए रखने के लिए डॉक्टर की सलाह से टियर ड्रॉप का इस्तेमाल करें. यह आईड्रॉप आपको मेडिकल स्टोर से आसानी से मिल जाती हैं.

धूम्रपान से बचें – धूम्रपान ना करें, क्योंकि इससे ड्राई आई की समस्या बदतर हो सकती है.

स्वस्थ भोजन करें – हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें, इससे आखों की सेहत बनी रहती है. https://hindi.news18.com/