Life Shayari
तेरी सिर झुका कर ऐ ज़िंदगी,
हिसाब बराबर कर तू भी
तो कुछ शर्तें मान मेरी।
Har Baat Maani Hai
Teri Sar Jhuka Kar Ai Zindagi,
Hisaab Barabar Kar Tu Bhi
Toh Kuchh Shartein Maan Meri.
तो नहीं है दोस्तों,
पर लोग कहते हैं
यहाँ सादगी से कटती नहीं।
मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट,
हो गया है ज़िंदगी का
तजुर्बा थोड़ा थोड़ा।
तेरी सिर झुका कर ऐ ज़िंदगी,
हिसाब बराबर कर तू भी
तो कुछ शर्तें मान मेरी।
तन्हा ज़िंदगी,
लोग तसल्लियाँ तो देते हैं
साथ नहीं देते।
एक कमजोर सी हिचकी के सिवा कुछ भी नहीं।
कैसे बसर ज़िंदगी करें,
पैरों को काट फेंके
या चादर बड़ी करें।
इस सफ़र से अब,
ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे
खत्म होने से पहले।
न खबर थी उन टुकड़ों को ही बिखेर बैठेंगे हम।
तेरे शहर में ज़िंदगी कहीं तो होनी चाहिए।
आदमी की खातिर कांटे भी कबूल हैं ...
मुझे कांच के टुकड़ों पर भी हंसने दो…
अगर आदमी कहता है ये मेरे फूल हैं!
प्रति मुख्य बधता गया दे दे कर,
खुदा बा खुद मेरे नज़दिक आति गायि,
मंजिल मेरा हौंसला देख कर…।
Aakhon Ko Dekha Per Dil Mein Utr Kar Nahi Dekha,
Pathar Samajhate Hain Mujhe Mere Chahne Wale,
Hum Toh Mom Hain Kisi Ne Chhoo Kar Nahi Dekha …