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रायपुर संभाग में पपीता उत्पादन को प्रोत्साहित करने संभागायुक्त ने शुरू की पहल

  • 19-Sep-2020
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छत्तीसगढ़ देश विदेश खेल बिजनेस मनोरंजन ज्ञान विज्ञान करिअर आलेख धर्म-अध्यात्म लाइफ स्टाइल सेहत विचार मंच ब्रेकिंग न्यूज़ Home छत्तीसगढ़ Raipur रायपुर संभाग में पपीता उत्पादन को प्रोत्साहित करने संभागायुक्त ने शुरू की पहल रायपुर संभाग में पपीता उत्पादन को प्रोत्साहित करने संभागायुक्त ने शुरू की पहल 19-Sep-2020 5 रायपुर संभाग में पपीता उत्पादन को प्रोत्साहित करने संभागायुक्त ने शुरू की पहल -किसानों को जोडऩे के साथ समिति गठित करने के दिए निर्देश रायपुर। संभाग आयुक्त जी. आर. चुरेन्द्र ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर संभाग में पपीता की खेती को बढ़ावा देते हुए उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने और इसके क्रियान्वयन के लिए समिति गठित कर आवश्यक सहयोग के निर्देश दिए हैं। संभागायुक्त श्री चुरेन्द्र ने कच्चा पपीता से पप्पेन उत्पादन पर संक्षिप्त अवधारणा संबंधी योगेन्द्र कुमार चौधरी के पेपर के आधार पर इस अवधारणा को संभाग में सफल करने के लिए आवश्यक पहल करने के निर्देश दिए है। उन्होंने बताया है कि श्री चौधरी किसानों के बीच में रहकर उन्हें संगठित करने तथा किसानों को आवश्यक तकनीकी ज्ञान व प्रशिक्षण देने की योजना किसानों की हित में काम करना चाहते हैं। संभागायुक्त ने कहा है कि रायपुर संभाग के आदिवासी बहुल क्षेत्र एवं मैदानी क्षेत्र में पर्याप्त खुली भूमि शासकीय व भूमि स्वामी हक में विद्यमान है। पपीता कम पानी में कम उपजाऊ जमीन में तथा कम मेहनत में पैदा होने वाला व अधिक आय देने वाला पौधा है। अगर इसकी वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाये तो इसके उत्पाद से लोग लाखों करोड़ रूपये कमा सकते हैं। छ.ग. में फसल प्रतिरूप परिवर्तन व उद्यानिकी विकास को बढ़ावा देना समय की मांग है। आर्थिक व सामाजिक क्रांति लाने के लिए उद्यानिकी विकास की प्रक्रिया ब्रम्हास्त्र का काम कर सकता है, इस प्रक्रिया में प्रथम उत्पाद के रूप में पपीता की खेती का प्रयोग किया जा सकता है । उन्होंने कहा है कि रायपुर संभाग के अन्तर्गत पपीता के खेती के लिए बड़े किसानों की पहाड़ी, पठारी व मैदानी क्षेत्र में खुली व पड़त पड़ी जमीन , छोटे किसानों के या बड़े किसानों के बाड़ी बखरी की जमीन, हितग्राहियों को वन अधिकार प्रमाण पत्र के तहत पट्टे पर दी गई भूमि के बहुत बड़ा हिस्सा उपयोग पपीते के खेती के लिए किया जा सकता है। गांव में उपलब्ध शासकीय भूमि जिस पर लोग नियंत्रण के अभाव में धड़ल्ले से खुले रूप में बाड़ी-बखरी बनाकर या घेराव कर कब्जा कर रहे हैं , उसे कब्जा से मुक्त कराकर ग्रामीण आर्थिक उन्नति के लिए सामुदायिक बाड़ी/बागवानी के प्रयोजन से उपयोग करने के लिए उपलब्ध कराकर (मनरेगा योजना व शासन के अन्य योजनाओं से अभिसरण कर कार्य कराना), वन विभाग, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग व पंचायत विभाग के नर्सरी या उद्यानिकी प्रक्षेत्र में महिला समूहों को सम्मिलित कर खुले व उपलब्ध भूमि में पपीता की खेती कराने की पहल की जा सकती है।
Chhattisgarh News रायपुर संभाग में पपीता उत्पादन को प्रोत्साहित करने संभागायुक्त ने शुरू की पहल
छत्तीसगढ़ देश विदेश खेल बिजनेस मनोरंजन ज्ञान विज्ञान करिअर आलेख धर्म-अध्यात्म लाइफ स्टाइल सेहत विचार मंच ब्रेकिंग न्यूज़ Home छत्तीसगढ़ Raipur रायपुर संभाग में पपीता उत्पादन को प्रोत्साहित करने संभागायुक्त ने शुरू की पहल रायपुर संभाग में पपीता उत्पादन को प्रोत्साहित करने संभागायुक्त ने शुरू की पहल 19-Sep-2020 5 रायपुर संभाग में पपीता उत्पादन को प्रोत्साहित करने संभागायुक्त ने शुरू की पहल -किसानों को जोडऩे के साथ समिति गठित करने के दिए निर्देश रायपुर। संभाग आयुक्त जी. आर. चुरेन्द्र ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर संभाग में पपीता की खेती को बढ़ावा देते हुए उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने और इसके क्रियान्वयन के लिए समिति गठित कर आवश्यक सहयोग के निर्देश दिए हैं। संभागायुक्त श्री चुरेन्द्र ने कच्चा पपीता से पप्पेन उत्पादन पर संक्षिप्त अवधारणा संबंधी योगेन्द्र कुमार चौधरी के पेपर के आधार पर इस अवधारणा को संभाग में सफल करने के लिए आवश्यक पहल करने के निर्देश दिए है। उन्होंने बताया है कि श्री चौधरी किसानों के बीच में रहकर उन्हें संगठित करने तथा किसानों को आवश्यक तकनीकी ज्ञान व प्रशिक्षण देने की योजना किसानों की हित में काम करना चाहते हैं। संभागायुक्त ने कहा है कि रायपुर संभाग के आदिवासी बहुल क्षेत्र एवं मैदानी क्षेत्र में पर्याप्त खुली भूमि शासकीय व भूमि स्वामी हक में विद्यमान है। पपीता कम पानी में कम उपजाऊ जमीन में तथा कम मेहनत में पैदा होने वाला व अधिक आय देने वाला पौधा है। अगर इसकी वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाये तो इसके उत्पाद से लोग लाखों करोड़ रूपये कमा सकते हैं। छ.ग. में फसल प्रतिरूप परिवर्तन व उद्यानिकी विकास को बढ़ावा देना समय की मांग है। आर्थिक व सामाजिक क्रांति लाने के लिए उद्यानिकी विकास की प्रक्रिया ब्रम्हास्त्र का काम कर सकता है, इस प्रक्रिया में प्रथम उत्पाद के रूप में पपीता की खेती का प्रयोग किया जा सकता है । उन्होंने कहा है कि रायपुर संभाग के अन्तर्गत पपीता के खेती के लिए बड़े किसानों की पहाड़ी, पठारी व मैदानी क्षेत्र में खुली व पड़त पड़ी जमीन , छोटे किसानों के या बड़े किसानों के बाड़ी बखरी की जमीन, हितग्राहियों को वन अधिकार प्रमाण पत्र के तहत पट्टे पर दी गई भूमि के बहुत बड़ा हिस्सा उपयोग पपीते के खेती के लिए किया जा सकता है। गांव में उपलब्ध शासकीय भूमि जिस पर लोग नियंत्रण के अभाव में धड़ल्ले से खुले रूप में बाड़ी-बखरी बनाकर या घेराव कर कब्जा कर रहे हैं , उसे कब्जा से मुक्त कराकर ग्रामीण आर्थिक उन्नति के लिए सामुदायिक बाड़ी/बागवानी के प्रयोजन से उपयोग करने के लिए उपलब्ध कराकर (मनरेगा योजना व शासन के अन्य योजनाओं से अभिसरण कर कार्य कराना), वन विभाग, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग व पंचायत विभाग के नर्सरी या उद्यानिकी प्रक्षेत्र में महिला समूहों को सम्मिलित कर खुले व उपलब्ध भूमि में पपीता की खेती कराने की पहल की जा सकती है। संभागायुक्त ने इस तरह के भूमियों का सर्वेक्षण चिन्हांकन राजस्व विभाग, उद्यानिकी विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी, कर्मचारी को लगाकर सुनिश्चित करने और गांव में जो जमीन का चिन्हांकन होगा उसमें विशेष योजना , व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से अलग-अलग योजना बनाकर एक समेकित कार्य योजना उद्यानिकी विभाग से तैयार करने के साथ इसकी स्वीकृति संचालनालय या शासन स्तर से कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। संभागायुक्त श्री चुरेन्द्र ने इस पहल का व्यवहारिक प्रयोग बतौर जिला कलेक्टर के स्तर से योजना कियान्वयन छोटे से बड़े रूप में सुनिश्चित करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि यह योजना एक प्रकार से विभिन्न विभागों में विद्यमान योजना व विभिन्न मदों के अन्तर्गत उपलब्ध राशि से अलग-अलग मदों यथा- बाऊण्ड्री का निर्माण, भूमि समतलीकरण व क्यारी निर्माण, तालाब व डबरी निर्माण, स्टाप डेम, डायवर्सन स्कीम का निर्माण, कुओं निर्माण, ट्यूब वेल स्थापना, सौर ऊर्जा संयत्र स्थापना, प्रशिक्षण व्यवस्था, खाद बीज की व्यवस्था आदि मदों से विभिन्न विभागों के योजनाओं को लेकर अभिसरण के तहत जिला कलेक्टर की समन्वय में ही कार्य कराया जा सकता है। इस योजना का कियान्वयन हेतु नोडल विभाग पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अर्थात जिला पंचायत रहेगा। जिला कलेक्टर के बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नोडल भूमिका में कार्य करेंगे। उप संचालक/ सहायक संचालक उद्यान का भूमिका सदस्य सचिव का होगा।