Business News
रेपो रेट में लगातार आठवीं बार कोई बदलाव नहीं
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। समिति के अध्यक्ष और आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी दी।
नई दिल्ली: आरबीआई (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। यह लगातार आठवां मौका है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था और तब से इसे लगातार यथावत रखा गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। दास ने आज बैठक के नतीजों की घोषणा की। इसके साथ ही लोगों को महंगे लोन से राहत के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। लोकसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा के बाद एमपीसी की यह पहली बैठक थी। इन चुनावों में बीजेपी लगातार तीसरी बार अपने दम पर बहुमत पाने में नाकाम रही। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीसरी बार केंद्र में एनडीए की सरकार बनने जा रही है।
दास ने कहा कि फ्यूल की कीमतों में डिफ्लेशन चल रहा है लेकिन खाद्य महंगाई उच्च स्तर पर बनी हुई है। खाद्य महंगाई पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि खाने-पीने की चीजों की कीमत आगे भी ऊंची बनी रह सकती है। मॉनसून के सामान्य रहने से खरीफ के उत्पादन में तेजी की उम्मीद है। दास ने कहा कि गर्मी के कारण सब्जी की कीमतों में तेजी दिख रही है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में खाने-पीने की चीजों की कीमत में तेजी आई है। आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर 2025 में महंगाई के 4.5 फीसदी पर बने रहने का अनुमान जताया है। पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान सात फीसदी से बढ़ाकर 7.2 परसेंट कर दिया। दास ने कहा कि पहली तिमाही में इसके 7.3%, दूसरी तिमाही में 7.2%, तीसरी तिमाही में 7.3% और चौथी तिमाही में 7.2% रहने का अनुमान है।
क्या होता है रेपो रेट
जानकारों ने उम्मीद जताई थी कि आरबीआई की एमपीसी एक बार फिर रेपो रेट यथावत रख सकती है। एसबीआई के एक शोध पत्र के अनुसार आरबीआई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रेपो रेट में कटौती करेगा और यह कटौती कम रहने की संभावना है। मई में हुए एक सर्वे में 72 में से 71 अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई थी कि एमपीसी पांच से सात जून तक अपनी बैठक के दौरान रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगी। इसे 6.50% पर बनाए रखेगी।
जिस तरह से आप बैंकों से अपनी जरूरतों के लिए लोन लेते हैं, ठीक उसी तरह से पब्लिक और कमर्शियल बैंकों भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। जिस तरह से आप कर्ज पर ब्याज चुकाते हैं, उसी तरह से बैंकों को भी ब्याज चुकाना होता है। भारतीय रिजर्व बैंक जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है, वह रेपो रेट कहलाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब बैंकों को सस्ता लोन मिलेगा। अगर बैंकों को लोन सस्ता मिलेगा तो वो अपने ग्राहकों को भी सस्ता लोन देंगे। यानी अगर रेपो रेट कम होता है तो इसकी सीधा फायदा आम लोगों को मिलता है। अगर रेपो रेट बढ़ता है तो आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ़ती है।