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छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या का भव्य धाम बन जाने से अब पूरे विश्व में छत्तीसगढ़ की अलग पहचान बनेगी,रामायण के ‘राम-सीता’ ने कहा |
अभिनेता ने कहा कि भगवान श्रीराम का चरित्र निभाना मेरे नसीब में था। मुझे वह दिन याद है जब देश के लोग मुझमें भगवान की छवि देखते थे। मेरे पैर छूते थे। लगभग 35 साल बीत जाने के बावजूद लोग हमें श्रीराम-सीता के रूप में ही देखना चाहते हैं। आम लोगों का विश्वास बनाए रखना हमारा फर्ज है।
श्रीराम के चरित्र से जीवन को मर्यादित ढंग से जीना और परिवार, समाज में अच्छी छवि बनाए रखने की प्रेरणा मिली। हालांकि जैसा मैं था, आज भी वैसा हूं। जो कमियां थीं, उसे दूर करने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ के लोगों से मेरा अनुरोध है कि वे रामायण के संदेशों को जीवन में उतारें। इसे मात्र कथा-कहानी न समझें।
अभिनेत्री ने कहा कि माता सीता की छवि निभाकर घर-घर में जो लोकप्रियता हासिल की। उससे मुझे परिवार के प्रति जिम्मेदारी निभाने और समाज में अपनी छवि बरकरार रखने की प्रेरणा मिली। वर्तमान दौर बदल रहा है, महिलाएं आगे बढ़ रही है और बेटियों को शिक्षित करके आगे बढ़ाने में हर मां-बाप को आगे आना चाहिए। बेटियों को मात्र घर तक सीमित न रखें, आगे बढ़ने दें, ऊंचाइयों को छूने दें।